Wednesday, November 05, 2014

किस तरह

पूछा जो उनसे मैंने चाँद निकलता है किस तरह
जुल्फों को रुख पे डाल कर झटका दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने हवा चलती है किस तरह
गेसू को फूँक मार कर बलखा दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने शराब बनती है किस तरह
होठों से पानी को छूकर छलका दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने नशा चढ़ता है किस तरह
नज़रों से नज़रें बाँधकर बिठा लिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने घटा उमड़ती है किस तरह
हँस-हँस कर जोर-जोर से बतला दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने आफ़ताब ढलता है किस तरह
घूंघट को अपने चेहरे पर सरका दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने रात होती है किस तरह
आँखों में सुरमा डाल कर कज़रा किया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने संगीत निकलता है किस तरह
पैरों में पाज़ेब डाल कर टहला दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने हया छुपती है किस तरह
सीने पे आँचल डाल कर पर्दा किया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने महफ़िल बिगड़ती है किस तरह
एक शख्स को आँखें मार कर बहका दिया कि यूँ

पूछा जो उनसे मैंने लोग जलते हैं किस तरह
"शहजाद" को देख कर मुस्कुरा दिया कि यूँ

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