कलम से खींच कर लकीरें कलाकारी पर उतर आऊंगा
ऐ मोहब्बत दूर रह मुझसे, मैं शायरी पर उतर आऊंगा
जब तलक हासिल हूँ तुम्हें अपनी तकदीर पे खैर करो
गर कीमत लगाने बैठोगे, मैं खुद्दारी पर उतर आऊंगा
ये हुनर शौकियाना है, कभी जिंदगी नहीं देगा 'शहजाद'
जो भूखे पेट रहना पड़ा, तो ख़ुदकुशी पर उतर आऊंगा