Wednesday, February 27, 2013

वो जो हर रोज़ लौट जाता है मेरे ख्वाब की दहलीज से 
उससे कहो, "पाजेब की आहट से मुझे जगाया ना करे"

Saturday, February 23, 2013


मियाँ सुपुर्द-ए-ख़ाक की जैसी भी हो तरकीब, बता देना  
जहमत हो तो दफन कर लेना, वगरना यूँ ही जला देना 

आखिरी ख्वाहिश में 'शहजाद', इतनी सी रहमत अता करना  
चार हसीनो से जनाज़ा उठवाना, दो शेर 'ग़ालिब' के सुना देना  

Wednesday, February 20, 2013

ग़ज़ल

कलम से खींच कर लकीरें कलाकारी पर उतर आऊंगा 
ऐ मोहब्बत दूर रह मुझसे, मैं शायरी पर उतर आऊंगा

जब तलक हासिल हूँ तुम्हें अपनी तकदीर पे खैर करो
गर कीमत लगाने बैठोगे, मैं खुद्दारी पर उतर आऊंगा  

ये हुनर शौकियाना है, कभी जिंदगी नहीं देगा 'शहजाद' 
जो भूखे पेट रहना पड़ा, तो ख़ुदकुशी पर उतर आऊंगा  


Saturday, February 09, 2013

उनकी शक्लों पे हंसी फीकी पड़ जाती है सामने आते हुए 
जिनकी सोहबत में एक यार नहीं, दो-चार तरफदार होते हैं