अपनी जहानत पे कुछ ऐतबार किया करो
हर फैसले सिक्के उछाल के ना लिया करो
हार-जीत की तर्ज़ पे गुजारी नहीं जाती ये
जिंदगी है आखिर,बेबाक हो के जिया करो
एक उम्र आएगी बाँछों पे सफेदी छाने की
रंगीनियों को तब तलक तवज्जो दिया करो
ना-आशना सी होंगी जनान-खाने की दीवारें
दौर-ऐ-जवानी में ही बेसबब इश्क किया करो
कड़वाहटें पिलायेंगे चारागर नुस्खे निकाल के
मैकश नजरों से तब तलक जी-भर पिया करो
क़यामत खुदा की हथेली पे रक्खी है "तीर्थराज"
तुम अपने हाथों अपना कफ़न ना सिया करो