Wednesday, August 29, 2012

झुक कर गुज़रता हूँ,  अक्सर उसकी गली से मैं
अदब लोग कह लेते हैं,आदाब उनसे हो जाता है 

Thursday, August 16, 2012

ग़ज़ल

मोरनी के इश्क में सुर्खाब हो के देखिये
आइये इस खेल में, बर्बाद हो के देखिये

खुद ही बार-बार जख्म खाने कहेगा दिल  
घायल किसी नज़र से एक बार हो के देखिये

शायरी का क्या है, आप चली आएगी
बेतलब इश्क के फनकार हो के देखिये 

फिर सिमट कर 'और' ही आप हो जायेंगे 
आगोश में उनके जार-जार हो के देखिये

नाम किसका है काबिज़ अहल-ऐ-जहाँ में 'तीर्थराज'
बदनाम किसी के नाम से सर-ऐ-बाज़ार हो के देखिये 

Tuesday, August 14, 2012

सोहबतों में ख्वाहिशें बतानी नहीं आती
कह कर चाहतें हमें जतानी नहीं आती

तरकीब तुमसे ही सीखी है संगदिली की
कोई और दोस्ती यूँ निभानी नहीं आती  


Friday, August 10, 2012

तुम किताबों में ढूंढते रहना तरक्की के नुस्खे
मैं छुपकर इमाम से जहानत चुरा ले जाऊँगा  


Friday, August 03, 2012


अब तो यही जरिया है मुकम्मल दीदार करने का..
किसी दिन सुर्ख़ियों में उनको हम अखबार के मिलें