मौसमी हवाओं में रंगत नयी-नयी सी है
वो आ रहा शहर में खबर उड़ी-उड़ी सी है
कल परिंदों ने कहा, 'एक तुम ही नहीं हो घायल'
आह हर किसी के दिल में यहाँ दबी-दबी सी है
हाय कि तेरा शर्मना वो धूप की अदाओं जैसा
लगता है जैसे सेहरा की नज़र झुकी-झुकी सी है
रात तुम ख्वाब में क्या आये बवाल हो गया
माँ सुबह कह रही थी कि सूरत खिली-खिली सी है
हुई मुद्दत राह तके अब आ भी जाओ 'शहजाद'
घड़ी दर घड़ी वक़्त-ओ-मुझमे ठनी-ठनी सी है