Tuesday, January 29, 2013

ग़ज़ल

मौसमी हवाओं में रंगत नयी-नयी सी है 
वो आ रहा शहर में खबर उड़ी-उड़ी सी है

कल परिंदों ने कहा, 'एक तुम ही नहीं हो घायल'
आह हर किसी के दिल में यहाँ दबी-दबी सी है 

हाय कि तेरा शर्मना वो धूप की अदाओं जैसा  
लगता है जैसे सेहरा की नज़र झुकी-झुकी सी है

रात तुम ख्वाब में क्या आये बवाल हो गया 
माँ सुबह कह रही थी कि सूरत खिली-खिली सी है 

हुई मुद्दत राह तके अब आ भी जाओ 'शहजाद'
घड़ी दर घड़ी वक़्त-ओ-मुझमे ठनी-ठनी सी है 


यूँही नहीं मोहब्बत ने उससे बेदिली की होगी
जरूर किसी शायर से उसने दिल्लगी की होगी 

चील-कौवे भी देने लगे हैं उसके आशियाने पे दस्तक
जाने कितने इश्क्जादों ने वहां ख़ुदकुशी की होगी

    

Friday, January 25, 2013

26 जनवरी

26 जनवरी..!!! 
हर साल की तरह फिर से आ गयी 
लेकर फिर वही तिरंगों के दौर
वही लता की आवाज़ में गूंजता संगीत 
और वही सुबह-सुबह बच्चों में दिखती उमंग, 
कामकाजी लोगों के लिए छुट्टी का दिन 
और युवाओं के लिए 'Dry Day'
'पाँच' पहलुओं में समेट  कर रख दे कोई 
इस तारीख से जुडी हरकतें, 
और भी कुछ सोच लें, गर छूट गया हो तो।
लाजमी भी है, 'पाँच' पहलुओं पर ही तो बनी थी ये तारीख 
'Sovereign' 'Socialist' 'Secular', 'Democratic' और 'Republic'
पर ये 'पाँच'  पहलू आपको 26 जनवरी में नहीं मिलेंगे 
इसके लिए जरा जहमत उठाइये,
"गणतंत्र दिवस' मनाइये। 

Sunday, January 06, 2013

सिखलाते हो सलीका हर नुक्स निकाल के
अब थोडा तो छेड़-छाड़ करो, मैं नशे में हूँ  

Friday, January 04, 2013

कल ख्वाब में आया था 'ग़ालिब' ही 'शहजाद' के
दो बोतलें खाली थीं औ' एक शेर छोड़ रक्खा था

Thursday, January 03, 2013

कोई हर्फ़ कोई लफ्ज़ जुबाँ पे आता नहीं  'शहजाद'
वो जाते-जाते तसव्वुर भी अपना ले गया छीन कर