Monday, February 24, 2014

किसी से रिश्ता ना जोड़ लें सो पलकें झुका रक्खी थी
अपनी आँखों को उसने ये तरकीब सिखा रक्खी थी

हम  किसे बिस्मिल्ला करते औ' किसे चूमते 'शहजाद'
उसने उतार कर मेहँदी जो जायके में मिला रक्खी थी  

Monday, February 17, 2014

ना सही मरासिम हमसे फासले पर ही मिला करो
ये भी कोई अंदाज़ है, खफा भी नहीं औ' गिला करो 
कुछ लफ्ज़ बर्बाद कर खुद को सुखनवर कह लें
बाद मुददत के 'ग़ालिब' आज याद आया है फिर

#GHALIB
कुछ उधार सा है चंद बरसों का मुझ पे 'इसका'
कोई वो वक्त दे जाए तो क़र्ज़ से निजात पाऊँ

#KGP